कम्प्यूटर क्या है और कम्प्यूटर का इतिहास क्या है, पूरी जानकारी हिंदी में What is computer and what is history of computer and his Fundamental

कम्प्यूटर क्या है और कम्प्यूटर का इतिहास क्या है, What is computer and what is the history of computer and his Fundamental


कम्प्यूटर क्या है 

कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रिस मशीन है, कम्प्यूटर सिस्टम सिर्फ एक अकेली मशीन नहीं है बल्कि कई अन्य उपकरणों का संग्रह है जो विभिन्न कार्यों के समन्वय में काम करता है.इसका अपना कोई मष्तिस्क नहीं होता है ये उपयोगकर्ता के बिना सिर्फ एक बेकार मशीन है, 

अर्थात कम्प्यूटर एक अकेली मशीन नहीं है यह कई सारे छोटे-छोटे उपकरणों से मिलकर बना होता है. 


Fundamental of Computer कंप्यूटर के मूल सिद्धांत 

जैसा आपको बताया गया कि कम्प्यूटर सिर्फ एक अकेली मशीन नहीं है, यह बहुत से अन्य डिवाइस के साथ मिलकर बना होता है, इसके कई सारे भाग होते हैं जिनके साथ मिलकर एक कम्प्यूटर बनता है, अगर इनमें से कोई भी भाग इससे जुड़ा नहीं होता है तो यह काम नही कर सकता, हमने आपको इसके कुछ मुख्य भागों के बारे में विस्तार से बताने का प्रयास किया है, 


1- Display Devices (Monitor)-

(i) VDU (CRT)-

विजुअल डिसप्ले यूनिट (Visual Display Unit) देखने में तो घरेलू
T.V. की तरह ही होता है. इसका कार्य मात्र डिसप्ले करना ही होता 
है न तो इसके कारण कम्प्यूटर के कार्य करने की स्पीड पर अन्तर पड़ता है और न ही Storage क्षमता पर. इसमें Cathode Tube का प्रयोग किया जाता है इसलिए इसे Cathode Rays Tube (CRT) भी कहते हैं. वर्तमान समय में यह चलन में नहीं है, इसके स्थान पर अब नई तकनीक के साथ LCD (TFT) मॉनीटर आदि चलन में आ गयी
हैं, जोकि VDU से काफी वेहतर है.    


(ii) LCD (TFT)-

मॉनीटर का आधुनिक और लेटेस्ट प्रकार LCD है. इसका पूरा नाम Thin Film Transistor Liquid Cristal Display है, इसके कई फायदे हैं:-

  • साइज़ में छोटा 
  • वजन में कम 
  • इलेक्ट्रिसिटी का खर्चा कम
  • U. P. S और inverter पर देर तक Back उप 
  • आँखों के लिए कम नुकसानदायक
  • आसानी से Portable होना 
  • Speaker Inbuild होना   

Market में ये Monitor विभिन्न size जैसे 15",  17", 16.5", 21" आदि में मिलते हैं. 

CRT Monitor 110 Watts और LCD Monitor 30 से 40 Watts बिजली लेता है. 

VDU (CRT) या LCD (TFT) Monitor चाहे कितना भी बड़ा या छोटा हो उसमें Text Mode (CUI Mode) में हमेशा 25 लाइन में 80 Character ही आते हैं.


2- Keyboard- 

Keyboard Multimedia और Normal दोनों ही प्रकार के होते हैं. Multimedia Keyboard में कुछ बटन (जैसे Volume, Mute, My Computer, Calculator etc.) Extra होते हैं इसलिए ये ज्यादा बेहतर होता है. 

साधारणतः Keyboard में लगभग 106 Keys होती हैं. जो निम्न प्रकार से व्यवस्थित होती है. 

(a) Alphabet Keys (A.....Z)

(b) Number Keys (0,1........9) 

(c) Function Keys (F1.......F12)

(d)Special Keys (Shift, Ctrl, Enter, Home, Delete, PageUp.......)

(e) Arrow Keys (Right, Left, Down, Up)

प्रत्येक Key-Board में  एक खास PrtScSysRq  होता है इसका प्रयोग पूरी डिसप्ले को कॉपी करने में होता है. 


3- Mouse 

आजकल ऑप्टिकल माउस ज्यादा प्रचलित हैं लेकिन नई टेक्नोलॉजी लेज़र माउस की भी आ गई है. माउस में दो बटन (लेफ्ट क्लिक और राईट क्लिक) तथा एक स्क्रॉल होता है.

माउस में दिया गया स्क्रॉल के ऊपर नीचे घुमाने दे साथ-साथ दबाया भी जा सकता है जिसका प्रयोग रीडिंग लेआउट आदि में किया जाता है, जिससे माउस छोड़ देने पर भी पेज स्वतः स्क्रॉल होता रहता है. 

आजकल बाजार में वायरलेस कीबोर्ड/माउस भी उपलब्ध हैं. 


4- CPU (Central Processing Unit)

CPU कई सारे पार्ट्स से मिलकर बना होता है. जैसे Processor, Motherboard, RAM, Hard Disk, DVD Writer etc. 

(i) Processor

यह कम्प्यूटर का मुख्य भाग होता है. इसे माइक्रो प्रोसेसर भी कहते हैं. जिस प्रकार किसी गाड़ी का इंजन उसकी जान होता है ठीक उसी प्रकार कम्प्यूटर कम्प्यूटर का प्रोसेसर ही उसका मष्तिस्क और शक्ति होती है.

वास्तव में प्रोसेसर ही असली कम्प्यूटर अर्थात C.P.U (Central Processing Unit) है. प्रोसेसर ही कम्प्यूटर का दिमाग है. इसका काम किसी व्यक्ति द्वारा दिय गये कार्य को समझकर उनका ठीक-ठीक पालन करना है. इसी कार्य क्षमता किलोहर्ट्ज़, मेगाहर्ट्ज़ तथा गिगा हर्ट्स आदि में नापी जाती है. 


विभिन्न प्रकार के प्रोसेसर 

AMD, Celeron, P4 (Plentium-4) Dual Core, Core 2 Due (First Generation), Core 2 Due (Second Generation), आई-3, आई-5 आई-7 इत्यादि. 

संरचना:-

Processor मोबाइल फ़ोन के सिम की तरह मात्र 1" की वर्गाकार चिप होती है. कम्प्यूटर चलते समय यह इतनी गर्म हो जाती है कि एक विशेष पंखा सिर्फ इसी चिप को ठंडा करने के लिए इसके ठीक ऊपर लगाया जाता है. 


(ii) Mother-Board

यह कई नामों से जाना जाता है जिनमें Mother-Board, System Board, में बोर्ड आदि नाम से अधिक प्रचिलित है,

संरचना- 

यह एक प्रकार का सर्किट बोर्ड होता है. यह लगभग 6 से 8 इंच की वर्गाकार हरे रंग की प्लेट होती है जिस पर इलेक्ट्रॉनिक सर्किट छपा होता है. जिस पर पी०सी० के सभी इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों विशेष प्रणाली द्वारा Direct या Indirect रूप से आपस में जुड़े रहते हैं. इसमें विभिन्न प्रकार के ट्रांजिस्टर, रेजिस्टेन्स आदि लगे होते हैं. जिससे कम्प्यूटर के विभिन्न पार्ट्स को किसे कितने वोल्टेज और एम्पीयर देने हैं, की setting होती है.

माइक्रो प्रोसेसर (जो पंखे के नीचे होता है), RAM, चिपसेट, ग्राफिक, कंट्रोलर आदि मदरबोर्ड पर ही सेट किये हुए होती हैं. सभी आउटपुट डिवाइस (प्रिन्टर स्पीकर, मॉनिटर आदि)तथा इनपुट डिवाइस (की-बोर्ड, माउस, स्कैनर आदि) मदरबोर्ड से ही जुड़े होते हैं. 

इसमें RAM लगाने के दो या अधिक स्लॉट होते हैं जिनमें एक में RAM लगी होती है यदि रैम बढ़वानी है तो बाकी खाली स्लॉट का उपयोग क्या जा सकता है.


(iii) Memory:-

मैमोरी दो प्रकार की होती है- 

a) Internal अर्थात Main Memory जैसे- RAM, ROM आदि 

b) External अर्थात् Secondary Memory 

जैसे- Hard Disk, CD, Floppy आदि.

 Main Memory RAM, ROM (Internal)


(A) RAM (Random Access Memory)

यह कम्प्यूटर की अस्थाई Memory है. ये कम्प्यूटर की प्राथमिक Storage के लिए होता है. इसका CPU के साथ सीधा संपर्क होता है, यूजर द्वारा इंटर की गयी जानकारी तथा निर्देश सबसे पहले RAM में आती हैं. फिर प्रोसेसर जरुरत के अनुसार जानकारी को लेता है और उस कार्य को करके डिस्ट्रीब्यूट करता है. 

कार्य - 

जो डाटा टाइप करते हैं और जब तक हमने उसे Save नहीं किया है वह RAM में रहता है और जब हम Data को Save कर देते हैं तो यह Hard Disk में पहुँच जाता है अर्थात् RAM की स्मृति क्षणभंगुर होती है अतः इसमें DATA पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं होता इसलिए कम्प्यूटर बंद होने पर RAM का DATA ख़त्म हो जाता है जबकि Hard Disk का नहीं.  

संरचना - 

RAM करीब 4" लम्बी 1" चौड़ी हरे रंग की पट्टी की तरह होती है. यह कई सेक्टर में  बंटी होती है.

RAM कम या ज्यादा होने पर कम्प्यूटर की स्पीड पर फर्क पड़ता है. 


RAM के प्रकार -

RAM कई प्रकार की होती है. पुराने कम्प्यूटर में HD RAM का प्रयोग होता था लेकिन अब DDR-1, DDR-II तथा DDR-III का प्रयोग किया जा रहा है. इन विभिन्न RAM में रचनात्मक अंतर Cut के निशान का होता है.  

कम्प्यूटर में RAM ज्ञात करना:-

My Computer खोलकर खाली जगह में R.C. --> Property में सबसे नीचे कम्प्यूटर का प्रोसेसर और RAM दी होती है. RAM को कुछ कम दिखाया जाता है, क्योंकि यह Share हो जाती है. जैसे 128 MB को 96 MB, 1GB का 996 MB. Market में आधुनिक RAM 4GB, 8GB तथा इससे अधिक क्षमता की भी आ रही है. 


(B) ROM (Read Only Memory)

ROM में कम्प्यूटर बनाने वाली कम्पनी द्वारा ऐसी सूचनाएं रखी जाती हैं, जो स्थायी होती हैं और जिनकी हमें लगातार और रोज जरुरत पड़ती है. जैसे ही हम कम्प्यूटर ऑन करते हैं ये सूचनाएं प्रारम्भ हो जाती हैं और तब तक रहती हैं जब तक कम्प्यूटर ऑफ नहीं हो जाता. रोम में रखे डाटा को न तो हम हटा सकते हैं और न उसमें कोइब सुधार कर सकते हैं. ROM भी RAM की तरह ही मैमोरी होती है लेकिन कम्प्यूटर बंद होने पर ROM का Data नष्ट नहीं होता है. 


External अर्थात् Secondary Memory 

(C) Hard Disk 

यह कम्प्यूटर की स्थाई मेमोरी होती है. इस पर स्टोर की गयी सूचनाएं सदा के लिए Save रहते हैं जब तक यूजर सुचना को खुद डिलीट नही कर दे. यह रैम की तरह क्षणभंगुर नहीं होते तथा पॉवर ऑफ होने पर भी इन पर सेव की गयी जानकारी बनी रहती है.

संरचना- 

हार्ड डिस्क लगभग 4 इंच व्यास की वृत्ताकार डिस्क होती है. जो एक चोकोर बॉक्स में फिक्स होती है जिससे उसे बहती त्रुटीयां से बचाया जा सके. हार्ड डिस्क कई ब्लाक में बंटी होती है, प्रत्येक ब्लाक का अपना एक अलग Read/Write Head और Sector Attached होता है. जो डिस्क की सतह के ऊपर तैरता रहता है और उसके संपर्क में नहीं आता इसलिए हार्ड डिस्क लम्बे समय तक प्रयोग में लायी जा सकने योग्य होती है. यह Mother Board से IDE (ATA) या SATA कंट्रोलर से जुडी होती है. 

कार्य- 

हार्ड डिस्क का प्रयोग कम्प्यूटर में डाटा स्टोरेज करने के लिए किया जाता है. आपके कम्प्यूटर में हार्ड डिस्क जितने ज्यादा GB की होगी आप अपने कम्प्यूटर में उतना ज्यादा DATA (Song, Wallpaper, Software, Video, Document File, Game आदि) Store कर सकते हैं.

हार्ड डिस्क में डाटा लिखने तथा पढने की गति भी बहुत अधिक होती है, एक हार्ड डिस्क में 40 GB तक डाटा स्टोर किया जा सकता है, लेकिन अब तो इससे भी अधिक क्षमता वाली हार्ड डिस्क मार्किट में उपलब्ध हैं. 

Computer में Hard Disk की क्षमता Check करना      

हार्ड डिस्क को पता करने के लिए सभी Drives C: D: E: F: आदि को जोड़कर पता कहते हैं. जब किसी ड्राइव पर माउस का पॉइंटर लाते हैं तो फ्री साइज़ और टोटल साइज़ दिखाई देता है अन्यथा Drive पर R.C.-->Property देखें सभी के Total Size को जोड़कर कुल हार्ड डिस्क पता चलती है यह भी कुछ Share होती है इसलिए कुछ कम दिखाई देती है. जैसे 80 GB को 76.89 GB 160 GB को 153.65 GB आदि.


(iv) CD-Drive 

इसका प्रयोग CD तथा DVD के डाटा को देखने तथा इनमे डाटा लोड करने के लिए किया जाता है. 

आज कल CD-ROM, CD- Writer, DVD-Combo का प्रचलन समाप्त हो गया है क्यूंकि इनमें कम सुबिधायें होती थीं. 


(v) Cabinet:-

CPU की बाहर बॉडी को कैबनेट कहते हैं. इसमें सभी हार्डवेयर जैसे हार्ड डिस्क, CD-Drive, Floppy, Mother Board आदि रखने की जगह बनी होती है.

इसमें एक SMPS (Switch Mode Power Supply) बॉक्स भी होता है जिसमें सभी तार बंद होते हैं. एक पंखा इसे ठंडा करने के लिए सीके अन्दर लगा होता है,


UPS- पॉवर सप्लाई को बंद करने से पहले कम्प्यूटर को उचित विधि से बंद करना अति आवश्यक है. यदि कम्प्यूटर को एक दम बंद कर दिया जाए तो इसमें काफी बड़ी खराबी आ सकती है. इसलिए इस मुश्किल का रास्ता निकालने के लिए UPS (Uninterruptible Power Supply) का प्रयोग किया जाता है जिसमें एक अपनी बैटरी लगी होती है. जोक 15-20 मिनट तक विधुत बैकअप दे सकती है. इतने समय में हम आसानी से अपनी सभी फाइलों को सेव करके सही तरीके से कम्प्यूटर को ऑफ कर सकते हैं. 


Removable Storage Disk-

Floppy Disk, Pen Drive, CD-R CD-RW, DVD-R, DVD-RW, Pocket Hard Disk

उपरोक्त सभी डिस्क Removable हैं अर्थात् इन्हें PC से जब चाहे तब आसानी से लगाया और हटाया जा सकता है. इनका प्रयोग डाटा को स्टोर करने तथा Traveler के रूप में किया जाता है.


Memory के Units 

Bite, Byte, KiloByte(KB), MegaByte(MB), Gigabyte(GB), Terabyte(TB)


Bite

Bite Computer की Memory में स्टोरेज होने वाली सबसे छोटी इकाई है. यह Digit 0 से 1 में से एक होती है.


Bite 0 (Zero) का मतलब ऑफ (No) कहलाता है.

Bite 1 (One) का मतलब ऑन (Yes) कहलाता है.

Byte- Byte Computer Memory को मापने के एक इकाई है. एक Byte 8 Bit  से मिलकर बना होता है.

        8 Bit= 1 Byte 

Nible- यह भी एक मापक Unit है.

        4 Bit = 1 Nible

        1 Byte = 2 Nible


1024 Byte = 1 KB

1024 KB = 1 MB

1024 MB = 1 GB

1024 GB = 1 TB

History of Computer/कम्प्यूटर का इतिहास 

कम्प्यूटर का इतिहास 3000 वर्ष पुराना है. Computer के जन्म से लेकर अब तक कम्प्यूटर की कई पीढियां आ चुकी हैं. इसके छोटे से इतिहास में कम्प्यूटर की मुख्य रूप से पांच पीढियां मानी जाती हैं. आज जो कम्प्यूटर हमारे सामने है उसका विस्तार लगातार चलता आया है. आरम्भ में कम्प्यूटर बहुत ही कम गति और सग्न्रहण क्षमता में भी कम थे परन्तु धीरे-धीरे कम्प्यूटर की दुनिया में बदलाव आता चला गया और अनेक प्रकार के कम्प्यूटर बनने लगे.

        IBM (International Business Machine) इस कम्पनी का मार्क-I सबसे पहला इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर था. यह कम्प्यूटर हॉवर्ड आइकॉन ने बनाया था. इस कम्प्यूटर पर 20 की दो संख्याओं को गुणा 5 सेकंड में कर सकते थे. इसके अतिरिक्त जॉन एकर्ट तथा जे डव्ल्यु मोचली ने पहला इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर एनिएक (ENIAC) के नाम से बनाया. इस कम्प्यूटर में लगभग 1800 वेक्यूम वाल्व लगे होते थे जिनसे कम्प्यूटर संचालित होता था. यह कम्प्यूटर की पीढ़ी का सबसे पहला कम्प्यूटर मन जाता है. यह सन 1946 में बनाया गया था.        

            सर्वप्रथम चीन में एक गर्णना यंत्र का आविष्कार हुआ. इस गणना यंत्र का नाम "अबेकस" था, यह अंकों की गणना करने के काम में आता है. अबेकस दुनिया का सबसे पहला गणना यंत्र था. अबेकस तारों का एक फ्रेम होता है. इसके चारों और प्रायः लकड़ी का बाहरी फ्रेम होता है. इसके तारों में गोलाकार बीड पिरोय रहते हैं. बीड पक्की मिट्टी के गोल छिद्रयुक्त टुकड़े होते हैं. प्रारम्भ में अबेकस को व्यापारिक गणनाएं करने के काम में प्रयोग किया जाता था. यह यंत्र प्रायः अंकों के जोड़, घटा, गुणा, भाग आदि करने के काम आता था.

पास्कलाइन- 

सन 1642 में फ्रांस के गणितज्ञ ब्लेज पास्कल ने एक यांत्रिक यंत्र तैयार किया इस मशीन को एडिंग मशीन कहते थे क्योंकि यह केवल जोड़ या घटा कर सकती थी. यह मशीन घड़ी और ओडोमीटर के सिद्धांत पर कार्य करती थी. इसमें कई दांतेयुक्त चकरियां थीं. ये चकरियां गणना करने के लिए घूमती थीं. इनके दांतों पर 0 से 9 तक के अंक छपे रहते थे. प्रत्येक चकरी के लिए एक संकेतक एक पट्टीका पर छपा हुआ था. संकेतक चकरी के रुकने पर किसी अंक को व्यस्त करता था. इस यंत्र को पास्कलाइन के नाम से भी जाना जाता था. पास्कालाइन सबसे पहला यांत्रिक यंत्र था. 

लेबनीज की रेकनिंग मशीन- 

सन 1971 में जर्मन गणितज्ञ गॉडफ्रेड वॉन लेबनीज ने पास्कलाइन का नया रूप तैयार किया. लेबनीज की मशीन को रेकनिंग मशीन कहते थे. यह मशीन अंकों के जोड़ व बाकी के अलावा गुणा व भाग भी की क्रियाएं भी कर सकती थीं.

      आधुनिक कम्प्यूटर एवं माइक्रो प्रोसेसर 

  • सन् 1940 से इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर का निरन्तर विकास होता रहा.
  • सन् 1970 में माइक्रोप्रोसेसर का आविष्कार हुआ. इसे इंटेल कम्पनी ने तैयार किया.
  • सर्वप्रथम अविष्कृत हुए इस माइक्रोप्रोसेसर को इंटेल-4004 कहा गया.
  • माइक्रोप्रोसेसर को काम में लेते हुए अत्यंत छोटे आकार के कम्प्यूटर बनाये गये. बाद में इन छोटे आकार के कम्प्यूटरों को माइक्रो कम्प्यूटर कहा गया. 
हार्डवेयर के विकास का प्रत्येक दौर कम्प्यूटरों की एक अलग जनरेशन के नाम से जाना जाता है.


The First Generation Computers, 1949-55   

  • पहली जनरेशन के कम्प्यूटर ने वैक्यूम ट्यूबों तथा निर्देशांकों को देने के लिए मशीन लेंग्वेज का प्रयोग किया.
  • एनिएक (ENIAC) तथा युनीवैक (UNIVAC) पहली जनरेशन के कम्प्यूटर माने जाते हैं.
  • पहली जनरेशन के कम्प्यूटरों में वैक्यूम ट्यूबों का प्रयोग किया ये ट्यूब बहुत महंगी तथा बहुत अधिक स्थान घेरने वाली थीं. 
  • ये भौतिक रूप से बहुत बड़े थे. एनिएक लगभग 30x50 फुट लम्बा और 30 टन वजन का था. 
  • इन कम्प्यूटरों में हजारों वैक्यूम ट्यूबों का प्रयोग किया जाता था जो कि बड़ी मात्रा में ऊर्जा छोडती थीं. 
  • ये कम्प्यूटर बड़ी मात्रा में बिजली की खपत करते थे.
  • ये कम्प्यूटर बहुत महंगे थे. इनकी कीमत लगभग 400000 डॉलर थीं. 
  • इन मशीनों ने कमांडों को देने के लिए मशीन लेंग्वेज का प्रयोग किया. मशीन लैंग्वेज में प्रोग्राम तैयार करना बहुत कठिन था.
  • इनकी प्रोसेसिंग गति बहुत धीमी थी.         

   

The Second Generation Computers (1956-1965)

  • Computer की Second Generation का आरम्भ ट्रांजिस्टरों के आविष्कार के साथ हुआ.
  • ट्रांजिस्टर ने वैक्यूम ट्यूबों का स्थान ले लिया. 
  • Second Generation के Computer IBM-1401, IBM-7094 और UNIVAC-1108 थे.
  • Storage के लिए Magnetic Core का आविष्कार हुआ. 
  • ये कम्प्यूटर पहली जनरेशन के कम्प्यूटर की अपेक्षा आकार में छोटे एवं सस्ते थे. 
  • व्यवसाय हेतु कम्प्यूटर का प्रयोग इसी जनरेशन में शुरू हुआ. 


The Third Generation Computers (1966-75)

  • इस जनरेशन में ट्रांजिस्टरों का स्थान इंटीग्रेटिड सर्किटों ने लिया.
  • IBM-360 Series, ICL-2900 Series, LK-2903 आदि तीसरी जनरेशन के कम्प्यूटर थे.
  • इंटीग्रेटिड सर्किट ने ट्रांजिस्टरों का स्थान ने ले लिया. इन इंटीग्रेटिड सर्किटों को चिप के नाम से भी जाना जाता है.
  • Drives की क्षमता 100 MB तक पहुँच गयी. 
  • मेन मेमोरी का आकार बढ़ाया गया और यह 4 MB तक पहुँच गया.
  • एक मिलियन कमांड प्रति सेकंड की क्षमता रखते हुय CPU अधिक शक्तिशाली बना.
  • इस जनरेशन के कम्प्यूटर पहले की अपेक्षा सस्ते और स्पीड में तेज थे.


The Forth Generation Computers (1976 - ....

  • Forth Generation के कम्प्यूटर पैन्टियम, पावर PC आदि है.
  • इस पीढ़ी में कम्प्यूटरों में स्मॉल स्केल इंटीग्रेटिड सर्किट (SSIC) और मीडियम स्केल इंटीग्रेटिड सर्किटों (MSIS) को वैरी लार्ज स्केल इंटीग्रेटिड (VLSIC) के साथ बदला गया. 
  • सैमी कंडक्टर मैमोरी ने मैग्नेटिक कोर मैमोरी का स्थान लिया.
  • हार्ड डिस्क का आकार 2 GB तक बढ़ाया गया. RAID टेक्नोलॉजी से स्टोरेज क्षमता सैंकड़ों GB तक बढाई गयी.
  • कम्प्यूटरों की लागत इस जनरेशन से तेजी से गिरी.
  • विभिन्न कम्प्यूटरों की उपयोगिता बढ़ी जैसे कि पैरलल कम्प्यूटिंग और मल्टीमीडिया आदि.

 

The Fifth Generation Computers

  • वैज्ञानिक और अनुसंधानकर्ता पाचवीं जनरेशन पर कार्य कर रहे हैं. पांचवीं जनरेशन के कम्प्यूटर मैग्नेटिक बबल मैमोरी का प्रयोग कर रहे हैं, जो मानव की भांति बोल सकें और कार्य कर सके.
  • इस पीढ़ी के प्रारम्भ में कम्प्यूटरों को परस्पर जोड़कर सूचना के आदान-प्रदान का एक संजाल (Network) बनाने की शुरुआत हुई जिससे सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अभूतपूर्ण क्रांति आई इसे इंटरनेट कहा जाता है.
  • इस पीढ़ी में कम्प्यूटरों का आकार आवश्यकतानुसार तैयार किया जाता है जैसे डेस्कटॉप, लैपटॉप और पाम्प टॉप आदि.

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